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डरावना सपना देखना कोई बीमारी नहीं है, लेकिन जब यह बार-बार हो, दिनभर काम करने की क्षमता कम करे, दिमाग में उसकी यादें बनी रहें या व्यक्ति सोने से ही डरने लगे, तब इसे नाइटमेयर डिसऑर्डर माना जाता है. ऐसे लोगों में अक्सर थकान, चिड़चिड़ापन, ध्यान की कमी, याददाश्त में कमी और बुरे सपनों का लगातार डर देखने को मिलता है. बच्चों में यह समस्या होने पर माता-पिता की नींद भी प्रभावित होती है.
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अगर आपकी भी डरावने सपने आने की वजह से दिनभर की गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं, तो यह समय उन्हें कुछ घरेलू उपाय आजमाकर कंट्रोल करने का है। आइए जानते हैं कैसे।
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इसके पीछे कई मानसिक और शारीरिक कारण होते हैं, साथ ही मेडिकल वजह भी शामिल होती है. आपने ये शब्द सुना होगा लेकिन कभी इसके बारे में गंभीर रूप से चिंतन नहीं किया होगा. आखिर ये क्या बीमारी है, कारण और लक्षण क्या हैं, कैसे इसका इलाज संभव है
सावधान! क्या आपको भी आते हैं ये बुरे सपने? जान लीजिए मतलब
सपने हमारी मेंटल हेल्थ को कई प्रकार से प्रभावित करते है। चित्र-अडोबी स्टॉक
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कभी-कभार आने वाले डरावने सपने चिंता का विषय नहीं हैं. हालांकि रोज-रोज समस्या हो, तब डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. बच्चों में यदि डरावने सपने लंबे समय तक बने रहें या उनके व्यवहार में बदलाव आए, तो बाल रोग विशेषज्ञ से बात करना फायदेमंद होता है.
रिलैक्सेशन तकनीक: एक्सपर्ट के अनुसार बिस्तर पर जाने से पहले तनाव के स्तर को प्रबंधित करने के लिए मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मसल्स रिलैक्सेशन का अभ्यास करें। इस प्रकार आपका दिमाग रिलैक्स रहता है और आपको बुरे सपने नहीं आते।
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